अपने जीवन का अधिकांश समय पश्चिमी देशों में गुजार कर आए व्यक्ति को यह समझ नहीं थी कि यह भारत है। यह देश कितनी भी पश्चिम की नकल कर ले लेकिन अपने मूल स्वभाव से परे नहीं हो सकता। शशि थरुर ने गलती की और उन्हें सरकार से जाना पड़ा। इसके साथ ही राष्टवादी कांग्रेस के केंद्रीय मंत्री भी सफाई देने लगे कि आईपीएल से उनका कोई लेना-देना नहीं है। प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि उनकी सुपुत्री अवश्य आईपीएल में काम करती है लेकिन उनका कोई लेना-देना नहीं। शरद पवार की सुपुत्री को मीडिया से कहना पड़ा कि उनके पति क्रिकेट प्रेमी अवश्य हैं लेकिन आईपीएल से उनका भी कोई लेना-देना नहीं है। महाराष्ट में राष्टवादी कांग्रेस के सरकार में मंत्री छगन भुजबल भी कह रहे हैं कि उनका आईपीएल से कोई लेना-देना नहीं है।
शशि थरुर के इस्तीफे के बाद शरद पवार वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से मिले और बीसीसीआई के अध्यक्ष मनोहर के साथ बैठकर फैसला हो गया कि ललित मोदी को इस्तीफा देना पड़ेगा। दूसरी तरफ ललित मोदी पूरे दमखम के साथ कह रहे हैं कि वे इस्तीफा नहीं देंगे। ललित मोदी यदि इस्तीफा न देने पर अड़े रहे तो उन्हें हटाने के लिए कार्यकारी मंडल को दो तिहाई सदस्यों के समर्थन की जरुरत पड़ेगी। जिन्होंने भी ललित मोदी के कमिश्रर रहते मलाई चाटी है, ललित मोदी के पक्ष में हैं और हटाने के लिए वे लोग तैयार हैं जो समझते है कि ललित मोदी के हटने से आईपीएल की आलोचना के छींटे से वे बचे रहेंगे। चमड़ी तो सबको अपनी ही प्यारी है। कौन बलि का बकरा बनता है, इससे किसी का लेना-देना नहीं है। यह सच है कि तमाम तरह के बुद्धिजीवियों की आलोचना के बावजूद क्रिकेट भारत का सबसे लोकप्रिय खेल है। हर वर्ग में इसके दीवानों की कमी नहीं है। सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट के भगवान तक की संज्ञा दी गई है। जिन फिल्मी हस्तियों के दीवाने लाखों करोड़ों लोग हैं, वे भी क्रिकेट सितारों के दीवाने हैं। क्रिकेट टीमों के मालिक तक फिल्मी सितारें हैं। मैदान में ग्लैमर जहां क्रिकेट खिलाडिय़ों का है, उसमें इजाफा से फिल्मी हस्तियां भी करती हैं। देर रात तक मैच और उसके बाद रात भर चलने वाली ग्लैमरस पार्टियां क्रिकेट को और रंगीन कर रही हैं। ऐसे में शरद यादव को आईपीएल अय्याशी का अड्डा दिखायी दें तो कोई आश्चर्य की बात नहीं।
भारत में कितने तरह का विरोधाभास है। एक तरफ कहा जाता है कि आधी आबादी 20 रुपए प्रतिदिन में अपना गुजर बसर करती है तो दूसरी तरफ 40 करोड़ लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। इतने लोगों को तो टायलेट की ही सुविधा नहीं है। उस पर भीषण महंगाई। महंगाई की जिम्मेदारी भी कृषि मंत्री की और कृषि खाद्य मंत्री क्रिकेट में व्यस्त हैं। खाने को मिले न मिले, मनोरंजन तो मिलना ही चाहिए। पिछले 40 दिनों में आईपीएल मनोरंजन आम आदमियों के लिए भी परोस रहा है। टीवी एक ऐसा माध्यम है जिसने शहरों में ही नहीं गांवों में भी अपनी पैठ बना ली है और टीवी के द्वारा क्रिकेट का नकली मैच घर-घर में देखा जा रहा है। आईपीएल को टीवी प्रसारण के अधिकार बेचने से ही अरबों की कमायी होती है। कितना लेन-देन किस मद में सफेद में होता है और कितना काले में यह जांच का विषय आयकर विभाग का है और आयकर विभाग ने थरुर मोदी विवाद के बाद पहली बार आईपीएल की जांच प्रारंभ की है।
बीसीसीआई और आईपीएल कोई धर्मार्थ संस्था नहीं है। अरबों का खुला कारोबार ये कर रहे है तो इससे करों की वसूली तो एकदम जायज है। महाराष्ट सरकार ने आईपीएल के पहले मनोरंजन कर लगाने की घोषणा की थी लेकिन उसने सर्वाधिक मैच मुंबई में होने के बावजूद कर नहीं लगाया। सुरक्षा की दृष्टि से सरकार जो खर्च करती है, वह भी तो सरकारी खजाने से किया जाता है। एक तरफ आईपीएल कमा रहा है और दूसरी तरफ सरकार मुफ्त में सुरक्षा व्यवस्था कर रही है। यह न्यायोचित तो नहीं है। ललित मोदी ने कहा था कि जो आय हो रही है इससे क्रिकेट के स्टेडियम देश में और बनाए जाएंगे। इससे तो अच्छा है कि सरकार कर वसूले और वही खेल में इसे खर्च करे। अथाह धन बेइमानी के लिए किसी को भी उकसा सकता है। फिर जिसका चरित्र प्रारंभ से ही संदिग्ध हो उसे इतनी बड़ी जिम्मेदारी देने की तो सोचना भी नहीं चाहिए था। राजस्थान ने ललित मोदी को अपना क्रिकेट अध्यक्ष चुनने से इंकार किया तो क्रिकेट की ऊपर की यात्रा तो उनकी वहीं रुक जानी चाहिए थी लेकिन जिन लोगों ने ललित मोदी को आईपीएल का कमिश्रर बनाया, वे भी कम जिम्मेदार नहीं है। भले ही आज वे उनसे इस्तीफा मांग रहे हों। जो कुछ भी आईपीएल में हो रहा था, उससे आंख मूंद कर वे क्यो बैठे थे?
जिस तरह से 76 जवानों के काल कवलित होने पर नैतिक जिम्मेदारी गृहमंत्री पी.चिंदबरम ने ली थी। उसी तरह से आईपीएल की कारगुजारियों की जिम्मेदारी बीसीसीआई को लेना चाहिए। साफ-साफ कहें तो शरद पवार को लेना चाहिए। अप्रत्यक्ष रुप से ही सही क्रिकेट कंट्रोल बोर्र्ड को कंट्रोल तो वे ही कर रहे हैं। नहीं तो बीसीसीआई के अध्यक्ष दिल्ली आकर उनसे क्यों दिशा-निर्देश प्राप्त कर रहे थे? जहां तक जनता का प्रश्र है तो जनता के लिए मामला एकदम साफ है। कृषि मंत्री कहते हैं कि महंगाई और बढ़ेगी तो महंगाई बढ़ जाती है। फिर पूछा जाता है कि महंगाई कम कब होगी तो कहते हैं कि वे कोई अर्थशास्त्री नहीं जो यह बता सके। क्रिकेट में बला का आकर्षण और पैसा है। यह अच्छे-अच्छों की नीयत खराब कर सकता है। सदा जवान रहने का नुस्खा भी है क्रिकेट। ललित मोदी जानते हैं कि वे पद से हटे तो कहीं के नहीं रहेंगे और जांच प्रक्रिया में वे उलझ जाएंगे। वे पद पर बने रहे तो जांच से बचाव के रास्ते भी तलाश लेंगे। इसलिए वे इस्तीफा देने से बचना चाहते हैं। देखें 26 अप्रैल को आईपीएल -युद्ध के बाद उनकी क्या गति होती है?
-विष्णु सिन्हा
दिनांक : 21.04.2010
बस, २६ अप्रेल निकलने दिजिये..सब रफा दफा होता नजर आयेगा और कोई नया मुद्दा उठेगा.
जवाब देंहटाएं