यह ब्लॉग छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने समाचार पत्र "अग्रदूत" में प्रकाशित कुछ लेखों को प्रकाशित करेगा . जिन्हे मेरे अग्रज, पत्र के प्रधान संपादक श्री विष्णु सिन्हा जी ने लिखा है .
ये लेख "सोच की लकीरें" के नाम से प्रकाशित होते हैं

शनिवार, 27 मार्च 2010

अमिताभ बच्चन का अपमान कर कांग्रेस संकीर्ण मनोवृत्ति का ही परिचय दे रही है

कभी नेहरू गांधी परिवार का कोई निकटतम था तो अमिताभ बच्चन का ही परिवार था। पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने अमिताभ बच्चन के पिता हरवंशराय बच्चन और तेजी बच्चन को अपने परिवार का ही सदस्य माना। इसलिए जब विवाह के लिए सोनिया गांधी भारत आयी तो उन्हें बच्चन परिवार के साथ ही ठहराया गया। सोनिया गांधी का कन्यादान अमिताभ के पिता और माता ने किया तो भाई के नेकदस्तूर अमिताभ ने निभाए थे। इंदिरा गांधी की जब हत्या कर दी गई तो राजीव गांधी के साथ अमिताभ बच्चन ही खड़े थे। राजीव गांधी के कहने पर अमिताभ ने इलाहाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता। दिसंबर की वार्षिक छुट्टियों में राजीव गांधी परिवार के साथ कोई छुट्टी मनाने जाता था तो वह अमिताभ बच्चन का ही परिवार था। बोफर्स दलाली में जब राजीव गांधी के साथ अमिताभ बच्चन को भी उलझाने की कोशिश की गई तब अमिताभ ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर राजनीति से तौबा कर ली लेकिन तब भी संबंध बने रहे।

लेकिन अब वह बात नहीं रह गयी है। इसके कई स्पष्ट प्रमाण हैं। जब अमिताभ बच्चन की कंपनी आर्थिक रूप से संकटग्रस्त हो गयी तब अमरसिंह ने उनकी मदद की और इस मदद के बदले अमरसिंह ने अमिताभ बच्चन को मुलायम सिंह से जोड़ा । जया बच्चन तो समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सदस्य बन गयी और आज भी हैं लेकिन अमिताभ ने राजनीति में न आने का जो निश्चय किया था, उस पर आज भी कायम हैं। अमरसिंह और मुलायम सिंह से अमिताभ बच्चन का मधुर संबंध सोनिया गांधी को पसंद नहीं आया और आज स्थिति यह है कि मुम्बई में एक पुल के उद्घाटन के अवसर पर अमिताभ की उपस्थिति को विवादास्पद ही नहीं बनाया जा रहा है बल्कि कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण कह रहे हैं कि उन्हें कार्यक्रम में अमिताभ बच्चन के आने की जानकारी नहीं थी। होती तो वे कार्यक्रम मे नहीं जाते। सारी मुम्बई को पता था कि अमिताभ बच्चन बांद्रा वर्ली सी लिंक के उद्घाटन पर विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहने वाले है। क्योंकि समाचार पत्र ने में इसके लिए विज्ञापन भी प्रकाशित कराए गए थे।

मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण कार्यक्रम में गए और अमिताभ बच्चन से हाथ मिलाया। दोनों आसपास बैठे और हंस हंस कर बातें कर रहे थे। अमिताभ बच्चन का मंच पर सम्मान किया गया। उन्हें शाल और गुलदस्ता दिया गया। यह सब मुख्यमंत्री की उपस्थिति में हुआ। प्रदेश अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह ने सोनिया गांधी से अमिताभ बच्चन को कार्यक्रम में बुलाए जाने की शिकायत की। तब विवाद खड़ा हो गया। अशोक चव्हाण को तब समझ में आया कि अमिताभ बच्चन के साथ कार्यक्रम में शिरकत कर उन्होंने सोनिया गांधी को नाराज कर दिया। तब अशोक चव्हाण ने कहा कि उन्हें जानकारी नहीं थी कि अमिताभ बच्चन कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले हैं। उन्हें मालूम होता तो वे कर्यक्रम में जाते ही नहीं।

पुणे में अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन हो रहा है। इसके समापन कार्यक्रम में भी अशोक चव्हाण और अमिताभ बच्चन दोनों को आमंत्रित किया गया है। अशोक चव्हाण कह रहे हैं कि वे इस कार्यक्रम में अमिताभ के साथ सम्मिलित नहीं होंगे। आयोजकों ने इसीलिए दोनों के समय एक साथ को अलग अलग कर दिया है लेकिन इससे कांग्रेस की छवि को धक्का लगा है और अमिताभ के प्रशंसक कांग्रेस से नाराज हो गए है। शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ही कह रहे हैं कि अमिताभ बच्चन क्या आतंकवादी हैं, चोर डाकू हैं, अछूत हैं। वे हिंदी सिनेमा के महानायक हैं और करोड़ों लोग उनके प्रशंसक हैं और यह स्थिति उन्होंने अपने श्रम से प्राप्त किया है। करोड़ों लोगों के दिल में स्थान उन्होंने अपने काम से बनाया है। जबकि चव्हाण तो सोनिया गांधी की मेहरबानी से मुख्यमंत्री हैं। नहीं तो अमिताभ के सामने वे लगते कहां हैं ?

लोगों को तो लगता है कि षडय़ंत्रपूर्वक अमिताभ को अपमानित करने के लिए यह नाटक रचा गया। राजनीति का इससे घृणित खेल और कुछ नहीं हो सकता। बहाना यह बनाया जा रहा है कि चूंकि अमिताभ बच्चन ने गुजरात का पर्यटन का ब्रांड अम्बेसडर बनना कबूल किया है। इसलिए वे नरेन्द्र मोदी के समर्थक हो गए हैं। अमिताभ ने अपने ब्लाग में इसका भी जवाब दिया है कि गुजरात के पर्यटन स्थलों का प्रचार करने का यह अर्थ नहीं कि वे नरेन्द्र मोदी का प्रचार कर रहे हैं। गुजरात में सोमनाथ का मंदिर, कृष्ण की द्वारिका है और इसका नरेन्द्र मोदी से क्या लेना देना ? इन स्थानों पर पर्यटक आएं, इसका प्रचार करना नरेन्द्र मोदी का प्रचार करना कैसे हो गया ? देश के बड़े बड़े उद्योगपतियों ने तो नरेन्द्र मोदी को देश का भावी प्रधानमंत्री बताया। कांग्रेस क्या इन उद्योगपतियों का भी अपमान करेगी ?

अमिताभ बच्चन तो चुनौती दे रहे हैं कि उन्होंने कोई अपराध किया है तो उन्हें जेल में बंद कर दो, सूली पर लटका दो। महाराष्ट्र के लोक निर्माण मंत्री जयदत्त क्षीर सागर कह रहें हैं कि उन्होंने कार्यक्रम में अमिताभ बच्चन को बुलाया था। अमिताभ ने सरकार के आमंत्रण का सम्मान किया और वे कार्यकम में शिरकत करने गए। अमिताभ बच्चन के गुजरात पर्यटन के ब्रांड अम्बेसडर बनने से यदि वास्तव में कांग्रेस नाराज है तो वह गुजरात की जनता से भी नाराज होंगी। जो बार बार दो तिहाई बहुमत से नरेन्द्र मोदी को चुनाव में जितवा रही है। तब क्या वह नरेन्द्र मोदी को समर्थन देने वाली जनता से बदला लेगी? प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश भर के मुख्यमंत्रियों को यदा कदा बुलाकर सम्मेलन करते हैं तो उसमें नरेन्द्र मोदी भी हाजिर होते हैं। कांग्रेस कहे अपने प्रधानमंत्री से कि वे नरेन्द्र मोदी को इन सम्मेलनों में न बुलाया करें। नहीं, कांग्रेस ऐसा नहीं कर सकती।

वह अशोक चव्हाण से जो चाहे कहलवा सकती है लेकिन प्रधानमंत्री से नहीं। प्रधानमंत्री के सम्मेलन शासकीय कार्यक्रम होते हैं तो अशोक चव्हाण जिस पुल का उद्घाटन करने गए थे, वह भी सरकारी कार्यक्रम था। कांग्रेस का कोई निजी सम्मेलन नहीं था। क्या इस कार्यक्रम में नरेन्द्र मोदी की पार्टी के विधायकों, शिवसेना, मनसे के विधायकों को सरकार ने आमंत्रित नहीं किया था? जब हर कार्यक्रम में शिरकत करने की पात्रता भाजपा रखती है और उसे कांग्रेस रोक नहीं सकती तब गैर राजनीतिज्ञ व्यक्ति, सदी के महानायक, सिनेमा के सुपर स्टार की उपस्थिति से उसे क्यों परहेज होना चाहिए? एक मुख्यमंत्री के रूप में अशोक चव्हाण का यह कहना कि उन्हें मालूम होता कि अमिताभ बच्चन कार्यक्रम में आने वाले हैं तो वे कार्यकम में नहीं जाते, कितना उचित है? सोनिया गांधी को स्वयं सोचना चाहिए कि इससे उनकी संकीर्ण मनोवृत्ति की ही छवि बन रही है। क्योंकि सबको अच्छी तरह से मालूम है कि अशोक चव्हाण सोनिया गांधी के भय के कारण ही ऐसा वक्तव्य दे रहे हैं।

-विष्णु सिन्हा

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