छत्तीसगढ़ राज्य बना तो रायपुर को राजधानी बनाया गया। राजधानी के अनुरुप
कोई संरचना तो रायपुर के पास थी, नहीं। फिर भी पुराने शहर में राजधानी ने
जन्म लिया और सभी को पुराने शहर ने समाहित कर लिया। प्रारंभ में ही नया
राजधानी क्षेत्र विकसित करने के संबंध में सोच यही थी कि पहले छत्तीसगढ़
की असल समस्याओं से मुक्ति के लिए धन व्यय किया जाए और नया राजधानी
क्षेत्र बनाने के विषय में न सोचा जाए। क्योंकि नया राजधानी क्षेत्र
विकसित करने के लिए केंद्र सरकार कोई अलग से धन राशि तो दे नहीं रही थी।
पुराना डी. के. अस्पताल मंत्रालय बना तो कलेक्टर का बंगला मुख्यमंत्री
निवास। सर्किट हाउस को राजभवन बनाया गया। जैसे तैसे मंत्री से लेकर
वरिष्ठ अधिकारी पुराने शहर में ही समायोजित हो गए।
लेकिन राजधानी का जो स्वरुप अन्यत्र पाया जाता है, उसकी कमी तो छत्तीसगढ़
को खलती रही। पिछले 9 वर्षों में विकास के वे काम हुए जो कभी मध्यप्रदेश
में रहते छत्तीसगढ़ में संभव नहीं था। विकास के लिए खनिज संपदा से संपन्न
छत्तीसगढ़ में विकास के लिए आवश्यक विद्युत की भी कोई कमी नहीं है। किसान
संपन्न हुआ। गरीबों को 2 रु. किलो में चांवल मिलने लगा। शिक्षा के
केंद्रों का विकास हुआ तो स्वास्थ्य सुविधाए भी बढ़ी। इंजीनियरिंग और
मेडिकल कॉलेजों की संख्या में वृद्धि हुई। राजग सरकार केंद्र में रहती तो
एम्स भी स्थापित हो चुका होता। रोटी रोजगार के अवसर बढ़े तो विकास की
किरण छत्तीसगढ़ के हर क्षेत्र में दिखायी देने लगी। नक्सल प्रभावित
क्षेत्र अवश्य वह लाभ विकास का नक्सलियों के कारण नहीं उठा पाए लेकिन
नक्सली समस्या से जूझने में डॉ. रमन सिंह ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। आज
उन्हीं के प्रयासों का फल है कि नक्सल समस्या की असलियत से केंद्र सरकार
परिचित हुई। नहीं तो अंदर ही अंदर दीमक की तरह हिंसा और आतंक का कारोबार
किस तरह फैल रहा है, इसकी भनक भी नहीं थी।
समय कितना भी लगे लेकिन डॉ. रमन सिंह कृत संकल्पित हैं कि वे प्रदेश को
नक्सल समस्या से मुक्त करा कर ही रहेंगे। जिस दृढ़ इच्छा शक्ति से
नक्सलियों के विरुद्ध छत्तीसगढ़ सरकार खड़ी है, उसी का परिणाम है कि आज
केंद्र एकीकृत योजना के लिए तैयार हुआ। जिस छत्तीसगढ़ का नाम देश में
अंजाने की तरह था, वह छत्तीसगढ़ आज सुर्खियों में है। डॉ. रमन सिंह की
सरकार सिर्फ नक्सलियों से भिडऩे का ही काम नहीं कर रही है बल्कि विकास की
नई कहानियां भी लिख रही है। आज देश भर के सभी बड़े उद्योगपतियों की नजर
छत्तीसगढ़ पर है। टाटा और एस्सार तो बस्तर में स्टील प्लांट भी लगाना
चाहते हैं। ये स्टील प्लांट लग गए तो बस्तर का कायाकल्प हो सकता है।
बस्तर में तो खदान ही लौह अयस्क के नहीं है सिर्फ बल्कि लौह अयस्क से
भरपूर पहाड़ भी खड़े हैं। वन संपदा से संपन्न छत्तीसगढ़ को आज भी हरियाली
की चिंता है और मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह हरियर छत्तीसगढ़ की कल्पना को
साकार करने के लिए कृत संकल्पित दिखायी दे रहे हैं।
राजधानी के अनुरुप नया रायपुर विकसित किया जा रहा है। एक आधुनिक शहर।
अनुमान है कि अगले वर्ष मार्च तक पुराने शहर से मंत्रालय उठ कर नया
रायपुर चला जाएगा लेकिन नया रायपुर बिना हरियाली के हो, यह डॉ. रमन सिंह
को उचित नहीं लगता। इसीलिए कल एक लाख पौधे नया रायपुर में रोपित किए गए।
वर्ष भर में यह पौधे बड़े-बड़े वृक्षों की शक्ल ले लेंगे। डॉ. रमन सिंह
की कल्पना का नया रायपुर देश के किसी भी राज्य की राजधानी से उन्नीस नहीं
होगा। उम्मीद की जा रही है कि नया रायपुर में 2030 तक 5 लाख से अधिक लोग
निवास करेंगे। इसे दृष्टि में रखते हुए नया रायपुर विकसित किया जा रहा
है। कल ही मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने घोषणा की कि 135 एकड़ में झील का
निर्माण किया जाएगा तो 400 एकड़ में वन विकसित किया जाएगा। स्टेडियम के
पास खेल ग्राम विकसित किया जाएगा। स्कूल, कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, कैंसर
अस्पताल सभी नया रायपुर में होंगे। जब यह नया शहर विकसित हो जाएगा तब
छत्तीसगढ़ के हर व्यक्ति को अपनी राजधानी पर गर्व होगा।
10 वर्ष छत्तीसगढ़ को बने होने जा रहे हैं। समय व्यतीत हो जाता है और पता
ही नहीं चलता। छत्तीसगढ़ का वक्त बदल रहा है। रायपुर तो वैसे भी
व्यवसायिक राजधानी रही है और व्यवसाय के लिए उड़ीसा के भी बड़े क्षेत्र
को कवर करती है। पुराने शहर का भी विस्तार जिस तरह से नया रायपुर की तरफ
हो रहा है उससे बहुत जल्द वह दिन भी आएगा जब पुराने रायपुर और नए रायपुर
की सीमा एक हो जाएगी। पिछले 10 वर्षों में ही रायपुर का विस्तार जिस तरह
से हुआ है और हो रहा हैं उससे शहर चारों तरफ विकसित हो रहा है। रायपुर
विकास प्राधिकरण कमल विहार योजना, गृह निर्माण मंडल की बोरियाकला में
बड़ी कॉलोनी की योजना, अभनपुर रोड पर विकसित होता थोक बाजार विस्तार और
विकास की नई कहानियां लिख रहा है।
राजधानी के काम से आने वालों को बिना पुराने शहर में आए ही नया रायपुर
में प्रवेश के मार्ग बन गए हैं। जो कहा जाता है कि राजधानी बनने के कारण
रायपुर में आवागमन बढ़ा है और इससे शहर के निवासियों को तकलीफों का सामना
करना पड़ रहा है, उससे भी नया रायपुर में राजधानी जाते ही छुटकारा मिल
जाएगा। दरअसल छत्तीसगढ़ में विकास की नई इबारत लिखी जा रही है। विध्वंस
और विकास का प्राकृतिक स्वरुप स्पष्ट दिखायी देता है। एक तरफ विध्वंसक
के रुप में नक्सली सक्रिय हैं तो दूसरी तरफ जनता के द्वारा चुनी हुई
सरकार अपने नागरिकों को विकास का संदेश दे रही है। फिर यह सरकार तो
नक्सलियों से भी छत्तीसगढ़ को मुक्त कराने का संकल्प लेकर शासन कर रही
हैं। विधानसभा चुनाव के समय डॉ. रमन सिंह ने भी स्पष्ट स्वीकार किया था
कि नक्सलियों से क्षेत्र को मुक्त न करा पाने की पीड़ा उनके मन में हैं।
लुंज-पुंज पुलिस व्यवस्था के साथ शासन करने का अधिकार डॉ. रमन सिंह को
मिला था। उनके 6 वर्ष के शासनकाल में पुलिस व्यवस्था में सुधार तो दिखायी
देता ही है। स्वाभाविक रुप से अपराध का ग्राफ विकास के साथ बढ़ा लेकिन
अपराधियों को पकडऩे का भी रिकार्ड तो पुलिस के खाते में दर्ज है। कम
प्रशासनिक अधिकारियों के साथ छत्तीसगढ़ राज्य बना। सरकार को मजबूरी में
वन विभाग के अधिकारियों से काम चलाना पड़ रहा है। प्रशासनिक कमजोरियां तो
सरकार में दिखायी पड़ती हैं लेकिन अब उसमें धीरे-धीरे कसावट भी आ रही है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का बेहतर प्रदर्शन कर सरकार ने दूसरे राज्यों को
अपनी तरफ आकर्षित किया है। स्वास्थ्य सेवाओं में भी निरंतर सुधार हो रहा
है। कोई गरीब बिना उपचार के न रहे इसके लिए भी सरकार ने पूरा बंदोबस्त
किया है। सरकार की उपलब्धि और सफलता का इससे बड़ा प्रमाण क्या होगा कि
केंद्र के मंत्री भी सरकार की तारीफ करते हैं। जबकि केंद्र में सरकार
कांग्रेस की है।
- विष्णु सिन्हा
दिनांक : 18.07.2010
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