यह ब्लॉग छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने समाचार पत्र "अग्रदूत" में प्रकाशित कुछ लेखों को प्रकाशित करेगा . जिन्हे मेरे अग्रज, पत्र के प्रधान संपादक श्री विष्णु सिन्हा जी ने लिखा है .
ये लेख "सोच की लकीरें" के नाम से प्रकाशित होते हैं

शनिवार, 28 अगस्त 2010

देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए डा. रमनसिंह को साधुवाद न देना कृपणता होगी

छत्तीसगढ़ ने बहुत ऊंची छलांग लगायी है। पूरे देश में सबसे अधिक घरेलू
उत्पाद दर अर्थात जीडीपी छत्तीसगढ़ के पास है। नक्सल समस्या से ग्रस्त
छत्तीसगढ़ ने विकास के मामले में जो कमाल किया है, उसके श्रेय के हकदार
निश्चित रूप से मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह हैं। सर्वाधिक पिछड़े और गरीब
राज्यों में से एक छत्तीसगढ़ में यह चमत्कार दिखा है तो उसका कारण डा.
रमन सिंह का सुशासन तो है ही, इसके साथ ही उनकी सोच और परिकल्पना भी
बेमिसाल  है। नहीं तो बहुत पुरानी बात नहीं है जब कांग्रेस के पूर्व
मुख्यमंत्री अजीत जोगी अपनी केंद्र सरकार से मांग कर रहे थे कि छत्तीसगढ़
में राष्टपति शासन लगाया जाए। नक्सल समस्या को इतना बढ़ा चढ़ाकर उछाला
गया, जैसे प्रदेश का शासन सही व्यक्ति के हाथ में नहीं है। कहा जाता है
कि विकास के अभाव ने नक्सल समस्या को जन्म दिया। विकास विरोधी नक्सली, जो
बच्चों के स्कूल भवनों को तोड़कर बच्चों को पढ़ाई लिखाई न हो इस इंतजाम
में लगे रहे, उनको भी प्रदेश की घरेलू उत्पाद दर ने करारा जवाब दिया है।
डा. रमनसिंह चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ के बच्चे पढ़े लिखें और वह सब कुछ
प्राप्त करें जो इस देश में किसी को भी हासिल है लेकिन नक्सलियों की सोच
है कि उनके प्रभावित क्षेत्र के बच्चे पढ़ लिख गए तो वे पुलिस में भर्ती
हो जाएंगे और नक्सलियों का जीना हराम कर देंगे। नक्सली नाबालिग बच्चों को
अपनी फौज में भर्ती कर रहे हैं। इसके बावजूद भी डा. रमन सिंह कृतसंकल्पित
हैं कि वे नक्सलियों की नहीं चलने देंगे। नक्सल प्रभावित क्षेत्र के
बच्चे पढ़े इसके लिए उन्होंने हर तरह की सुविधा उपलब्ध करायी है।
क्योंकि शिक्षा ही वह माध्यम है जो नक्सलियों के जाल से क्षेत्र को मुक्त
करा सकती है। नक्सल समस्या का काला चश्मा पहनकर जो लोग छत्तीसगढ़ की
कल्पना करते हैं, उनके लिए सर्वाधिक जीडीपी छत्तीसगढ़ में होना आंख खोलने
वाला है लेकिन  शर्त यही है कि वे आंख खोलकर  देखना चाहते हैं या नहीं।
उनमें ईमानदारी हो और वे ईमानदारी से देखना चाहें तो उन्हें समझ में आ
जाएगा कि विकास की दुश्मन सरकार नहीं वरन नक्सली है।

सर्वाधिक जीडीपी का आंकड़ा कोई छत्तीसगढ़ सरकार का दिया हुआ नहीं है
बल्कि केंद्र सरकार के सांख्यकीय विभाग का है। उस केंद्र सरकार के
सांख्यकीय विभाग का है जो कांग्रेस के अधीन है। गठबंधन की केंद्र सरकार
का मुख्य आधार धर्म निरपेक्षता है और गठबंधन की एकता के पीछे तर्क यही है
कि कहीं भाजपा केंद्रीय सत्ता पर काबिज न हो जाए। राज्यवार आंकड़े जो
जीडीपी के सांख्यकीय विभाग ने दिए हैं उनमें छत्तीसगढ़ प्रथम है तो
द्वितीय गुजरात है और तीसरे नंबर पर उत्तराखंड है। कितने आश्चर्य की बात
है कि ये तीनों राज्य भाजपा शासित हैं। इसका तो सीधा मतलब है कि भाजपा की
सरकारें कांग्रेस सहित अन्य दलों की सरकार से अच्छा काम कर रही है। विकास
के मान से इन तीनों राज्यों की जीडीपी राष्ट्रीय जीडीपी से भी ज्यादा है।
एक तरह से राष्ट्रिय  जीडीपी की ऊंचाई का श्रेय भी इन तीनों राज्यों को
जाता है।

उसका कारण भी स्पष्ट है। इन राज्यों के भाजपा शासक जमीन से जुड़े लोग
हैं। जबकि केंद्र सरकार का मुखिया सारे संसार में प्रसिद्घ अर्थशास्त्री
है लेकिन जमीन से जुड़े लोगों को हकीकत की जैसी जानकारी होती है, वैसी
जानकारी सिर्फ शास्त्रों के अध्ययन से तो प्राप्त नहीं की जा सकती। विकास
के लिए आवश्यक बिजली के मामले में छत्तीसगढ़ आत्मनिर्भर है। आत्मनिर्भर
ही नहीं है बल्कि सरप्लस बिजली है। छत्तीसगढ़ तो दूसरे प्रदेशों के घरों
में भी उजाला करने का काम करता है। छत्तीसगढ़ से रोजी रोटी कमाने के लिए
लोग भले ही लेह काश्मीर तक जाते हों लेकिन छत्तीसगढ़ ही ऐसा प्रांत है जो
अपने गरीब नागरिकों को 1 रू. व 2 रू. में चांवल देता है। मतलब साफ है कि
भूख के कारण लोग कमाने बाहर नहीं जाते। काम धंधों की भी कमी नहीं है।
शिकायत तो यहां तक है कि मजदूर नहीं मिलते। ठेकेदारों को दूसरे प्रदेशों
से मजदूर लाना पड़ता है। संपन्नता तो बढ़ी है। इसका यही उदाहरण काफी है
कि औसत आय तिगुनी हो गयी है। सबसे अच्छी सार्वजनिक वितरण प्रणाली
छत्तीसगढ़ में ही है। पुस्तकें बच्चों को मुफत में मिलती है। लड़कियों को
सरकार सायकल देती है। मजदूर न मिलने का एक कारण यह भी है कि बहुतों को
मजदूरी की जरूरत ही नहीं रह गयी है। डा. रमनसिंह ने तो इतना काम किया है
कि छत्तीसगढ़ में यह सब हो सकता है, इसकी 10 वर्ष पूर्व कल्पना भी नहीं
किसी ने की।

और 5 वर्ष निकल जाने दीजिए, छत्तीसगढ़ जब अपनी 15 वीं वर्षगांठ मनाएगा तब
तक नया रायपुर राजधानी का रूप ले लेगा। नक्सली पलायन के लिए मजबूर हो
जाएंगे। फिर गरीबी रेखा के नीचे छत्तीसगढ़ में कोई न मिले तो पूरे देश के
लिए आश्चर्य की बात होगी। यह कुछ लोगों और खासकर सत्ता आकांक्षियों को
भले ही असंभव लगे लेकिन डा. रमन सिंह के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। फिर
जिन्हें बाहर जाकर कमाने खाने का शौक हो वे भले ही  जाएं। नहीं तो
आवश्यकता तो इसकी नहीं रहेगी। कल ही स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल ने
अंबिकापुर में राज्य के 5 वें मेडिकल कालेज ही घोषणा की है। 2 वर्ष के
अंदर इसके प्रारंभ होने की बात कही है। जब राजग की सरकार थी तब सुषमा
स्वराज ने रायपुर में एम्स खोलने के लिए शिलान्यास किया था और 3 वर्ष में
इसके प्रारंभ होने की बात थी लेकिन दिल्ली में कांग्रेस की सरकार आए 6
वर्ष से अधिक समय हो गया, ढांचा ही खड़ा हो रहा है। केंद्र में कांग्रेस
के बदले भाजपा की सरकार होती तो छत्तीसगढ़ कहीं से कहीं  पहुंच गया होता।
खाद्यान्न के कोटे में कटौती, बिजली के कोटे में कटौती जैसी कितनी ही
कोशिशें केंद्र सरकार ने किया और छत्तीसगढ़ को पीछे ढकेलने की राजनीति की
लेकिन उसके बावजूद आज छत्तीसगढ़, गुजरात और उत्तराखंड की जीडीपी दर देश
में सबसे अधिक है तो यह भाजपा की सोच और कर्मठता का ही प्रतीक है। विपरीत
परिस्थितियों में भी अच्छे से अच्छा काम करना भाजपा के मुख्यमंत्री जानते
हैं, इसके लिए प्रमाण की जरूरत तो नहीं होना चाहिए। क्योंकि केंद्र सरकार
के आंकड़े ही इसका खुलासा करते हैं।

कृषि उत्पादन, विद्युत उत्पादन, औद्योगिक उत्पादन सभी क्षेत्रों में तो
छत्तीसगढ़ ने रिकार्ड बनाया। कृषि उत्पादन करीब करीब दोगुना हो गया है और
उचित मूल्य पर सरकार धान खरीद रही है। बारह सौ मेगावाट बिजली से
छत्तीसगढ़ का काम चलता था जो आज बढ़कर 26 सौ मेगावाट हो गया है। विद्युत
खपत दोगुना से ज्यादा हो गया। इस बात की निशानी है कि घर घर गांव गांव ही
बिजली नहीं पहुंची बल्कि उद्योगों का आकार प्रकार भी बदला। सिंचाई
सुविधाओं, सड़क सुविधाओं का भी पर्याप्त विकास हुआ। दस वर्ष पुराना
रायपुर से आज के रायपुर की शक्ल ही बदल गयी है और निरंतर शक्ल बदल रही
है। छत्तीसगढ़ के लोगों को सब कुछ बदला बदला लग रहा है। डा. रमनसिंह के
द्वारा छत्तीसगढ़ विकास की जो कथा लिखी गई है, वह पढऩे से नहीं देखने से
ताल्लुक रखती है। डा. रमन सिंह और उनके सहयोगियों को इसके लिए साधुवाद न
दिया जाए तो यह कृपणता होगी।

-विष्णु सिन्हा
28-08-2010