यह ब्लॉग छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने समाचार पत्र "अग्रदूत" में प्रकाशित कुछ लेखों को प्रकाशित करेगा . जिन्हे मेरे अग्रज, पत्र के प्रधान संपादक श्री विष्णु सिन्हा जी ने लिखा है .
ये लेख "सोच की लकीरें" के नाम से प्रकाशित होते हैं

रविवार, 22 अगस्त 2010

निजी मेडिकल कालेज खोलने के लिए डा. रमनसिंह ने सुविधाओं से भरा रास्ता खोला

छत्तीसगढ़ के भूगोल और जनसंख्या को ध्यान में  रखकर आंकलन किया जाए
तो ऐलोपैथिक चिकित्सकों की भारी कमी है।छत्तीसगढ़ के मेडिकल कालेजों की
क्षमता मात्र 300 चिकित्सक प्रतिवर्ष तैयार करने की है। इसमें से भी अखिल
भारतीय कोटा है और नए तैयार होने वाले चिकित्सक छत्तीसगढ़ से बाहर का भी
रूख कर लेते हैं। जिला चिकित्सालयों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक में चिकित्सकों का
अभाव स्पष्ट दिखायी देता है। फिर पढ़ लिखकर गांवों  की तरफ चिकित्सक जाना नहीं चाहते। जो वास्तव में चिकित्सक बनना चाहते हैं और जिन्हें प्रदेश के चिकित्सा महाविद्यालय में प्रवेश नहीं मिलता तो
उनके पालक यदि आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं तो उन्हें मेडिकल शिक्षा से
वंचित होना पड़ता है। जिनके पालक सक्षम हैं, वे तो आर्थिक शक्ति के कारण
प्रदेश  के बाहर अन्य प्रदेशों के मेडिकल कालेज में प्रवेश प्राप्त कर
लेते हैं। डोनेशन भी कम नहीं देते। आजकल तो कहा जाता है कि पेड सीट की
कीमत 20-25 लाख रूपये हो गयी है। फिर 4 वर्ष तक पढ़ाई का खर्च अलग और
स्नातक होने से काम चलता नहीं। स्नातकोत्तर होना चाहिए तो फिर लाखों का
डोनेशन।

लाखों खर्च कर जो चिकित्सक बनता है तो सिर्फ सेवा ही तो उद्देश्य नहीं हो
सकता। ऐसे चिकित्सक शासकीय सेवा की तरफ आकर्षित भी नहीं होते बल्कि और
लाखों लगाकर अपना चिकित्सालय खोलते हैं या फिर कांट्रेक्ट  पर बड़े
अस्पतालों से जुड़ जाते हैं। कोई अपवाद स्वरूप गांव की गरीब जनता की सेवा
की इच्छा भी रखता है तो सुविधाओं के अभाव में वह ग्रामीण जनता की सेवा
नहीं कर सकता। आजकल तो चिकित्सा बड़े बड़े यंत्रों के सहारे होती है और
यह भी कोई सस्ते में नहीं आते। टेक्रालॉजी रोज विकसित हो रही है और उसे
जानना समझना भी जरूरी है तो उसके लिए सर्व सुविधायुक्त शहर ही उपयुक्त
स्थान है। मरीज के रूप में ग्राहकों की भी कमी नहीं है और शहर में किसी
भी चिकित्सक के लिए धन के मामले में भविष्य उज्जवल है। कम संख्या में
चिकित्सक ओर अधिक संख्या में मरीज धंधे को चार चांद लगा देते हैं।
सबसे ज्यादा जरूरत इस बात की है कि मेडिकल शिक्षा संस्थान अधिक से अधिक
चिकित्सक पैदा करे। आबादी का घनत्व जिस तीव्रता से बढ़ रहा है और
बीमारियों के नए नए रूप जिस तरह से प्रगट हो रहे हैं, उसमें चिकित्सा
सेवा से बढ़कर व्यवसाय हो गया है। छत्तीसगढ़ राज्य जब बना था तब
छत्तीसगढ़ में एक ही चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर में शासकीय था। इसके
बाद बिलासपुर और जगदलपुर में सरकार ने चिकित्सा महाविद्यालय खोला और
रायगढ़ में खोलने की प्रक्रिया जारी है। दंत चिकित्सा महाविद्यालय तो एक
भी नहीं था और आज कई हो गए हैं। इंजीनियरिंग कालेज तो इतने हो गए हैं कि
तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण विद्यार्थी को भी प्रवेश मिल जाता है। जिस तरह
से विकास के लिए इंजीनियरों की जरूरत है, उसी तरह से जिंदा रहने के लिए
चिकित्सकों की जरूरत है।

इस समस्या को एक चिकित्सक से ज्यादा अच्छी तरह से कौन समझ सकता है और यह
छत्तीसगढ़ का सौभाग्य है कि एक चिकित्सक छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री है।
स्वास्थ्य सुविधाओं का जैसा विस्तार डा. रमन सिंह ने किया और हर तरह से
जनता को चिकित्सा सुविधा मिले, इसके लिए स्मार्ट कार्ड तक की व्यवस्था
की, वह तो राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय है। सरकार चिकित्सा के लिए धन
की कमी नहीं होने देना चाहती। इसलिए निजी अस्पतालों को भी उसने मान्यता
दी है। सरकार सब कुछ करने के लिए तैयार हो लेकिन चिकित्सक ही पर्याप्त
मात्रा में न हों तो सभी तक सुविधाएं तो पहुंचाई नहीं जा सकती। इस कमी को
डा. रमनसिंह ने अच्छी तरह से पहचाना है। इसीलिए निजी मेडिकल कालेज खोलने
का मार्ग उन्होंने खोल दिया है।

इसके लिए हर तरह की सुविधा देने की मंशा स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल ने
प्रगट की है। निजी मेडिकल कालेज खोलने वाले उद्यमियों को 5 वर्ष के लिए
जिला अस्पताल का उपयोग करने की सुविधा, मात्र 1 रूपये टोकन मनी पर 25
एकड़ जमीन की सुविधा। बदले में 40 प्रतिशत सीट छत्तीसगढ़ के
विद्यार्थियों को। बहुत आसान शर्त। मतलब हर जिले में मेडिकल कालेज खोला
जा सकता है। इस तरह तो 16 जिलों में 16 मेडिकल कालेज खुल जाएंगे। मेडिकल
कालेज खुलने से जिला अस्पतालों में भी चिकित्सा सुविधा बढ़ेगी। 5 वर्ष
में मेडिकल कालेज अपना सर्वसुविधायुक्त अस्पताल बना लेंगे। स्वाभाविक रूप
से इन मेडिकल कालेज में विद्यार्थियों को  पढ़ाने के लिए अच्छे
चिकित्सकों की नियुक्ति होगी। नए नए उपकरण लगेंगे। मेडिकल शिक्षा के कारण
चिकित्सा के संसाधनों में पर्याप्त वृद्घि होगी। 5 वर्ष व्यतीत होते होते
चिकित्सकों की जरूरत चिकित्सा महाविद्यालय से बाहर आने लगेगी तो वास्तव
में प्रदेश का कायाकल्प हो ही जाएगा।

इसके साथ ही चिकित्सालय खोलने के लिए सरकार ने करीब दो एकड़ जमीन
चिकित्सकों को टोकन मूल्य में भी देने का फैसला किया है। सुपर
स्पेशलिस्ट अस्पतालों के लिए सरकार की यह पेशकश निश्चित रूप से सराहनीय
है। डा. रमन सिंह तो दरियादिल आदमी हैं। जो व्यक्ति इस बात की चिंता करता
हो कि उसके शासन में किसी को भी भूख की तकलीफ न झेलना पड़े, वह चिकित्सा
के अभाव में बीमार व्यक्तियों की लाचारी से व्यथित न होता हो, ऐसा तो 
हो  नहीं सकता। यह उनके व्यथित होने का ही परिणाम है कि शीघ्र ही प्रदेश
में मेडिकल कालेजों की बाढ़ आने वाली है। डा. रमन सिंह छत्तीसगढ़ का
स्वर्णिम अध्याय लिख रहे हैं। आज फिर उन दिनों की याद आ रही है जब
मध्यप्रदेश में रहते हुए छत्तीसगढ़ के इकलौते रायपुर मेडिकल  कालेज को
मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने मात्र 7 करोड़ रूपये देने से इंकार कर दिया
था। मध्यप्रदेश में रहते हुए छत्तीसगढ़ की व्यथा की अकथ कहानी है। आज
छत्तीसगढ़ को अस्तित्व में आए 10 वर्ष भी पूरे नहीं हुए हैं और छत्तीसगढ़
के पास 3 मेडिकल कालेज के साथ चौथा तैयार हो  रहा है। निजी मेडिकिल कालेज
के रूप में तो हर जिले में मेडिकल कालेज खुलने की संभावना पैदा हो गयी
है।

छत्तीगसढ़ सरकार की निजी मेडिकल कालेज खोलने की योजना से आकर्षित होकर
बड़े बड़े उद्योगपति आकर्षित होंगे। देश भर में निजी मेडिकल कालेज चलाने
वाले अनुभवी आकर्षित होंगे। हो सकता है कि एक जिले में एक नहीं कई मेडिकल
कालेज खुल जाएं। मेडिकल शिक्षा का बड़ा गढ़ छत्तीसगढ़ बन जाए। असंभव कुछ
नहीं है। सिर्फ स्वप्न देखने वाले और स्वप्न  को साकार करने की क्षमता
रखने वाले लोग चाहिए। छत्तीसगढ़ पृथक राज्य का स्वप्न देखने वालों की कमी
नहीं थी। अटलबिहारी वाजपेयी ने उसे साकार किया। पृथक छत्तीसगढ़ के स्वप्न
के  साकार होने के बाद विकास की जो परिकल्पना थी उसे डा. रमन सिंह साकार
कर रहे हैं। चिकित्सक होने का धर्म निभा रहे हैं तो उनके साथ स्वास्थ्य
मंत्री अमर अग्रवाल कदमताल कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार की
कल्पना उनके पिताश्री स्व. लखीराम अग्रवाल ने की थी। सरकार का स्वप्न तो
उनके जीवनकाल में ही सफल हुआ। अब विकास की कल्पना को साकार करने में डा.
रमन सिंह के पीछे जिस तरह से अमर अग्रवाल खड़े हैं तो इसे आशीर्वाद वे दे
ही रहे  हैं। इसीलिए तो कोंग्रेसी  तक आपसी चर्चा में कहते हैं कि डा. रमन
सिंह की सरकार तो फिर चुनाव होगा तो फिर बनेगी।

-विष्णु सिन्हा
13-8-2010