यह ब्लॉग छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने समाचार पत्र "अग्रदूत" में प्रकाशित कुछ लेखों को प्रकाशित करेगा . जिन्हे मेरे अग्रज, पत्र के प्रधान संपादक श्री विष्णु सिन्हा जी ने लिखा है .
ये लेख "सोच की लकीरें" के नाम से प्रकाशित होते हैं

गुरुवार, 26 अगस्त 2010

डॉ. रमन सिंह और उनके सहयोगियों के लिए बड़ी से बड़ी उपलब्धि है तेलीबांधा नैरोगेज टर्मिनल

रायपुर शहर के नागरिकों को बड़ी सौगात मिलने जा रही है। तेलीबांधा में
नया नैरोगेज टर्मिनल बनकर तैयार हो गया है। 29 अगस्त से अब धमतरी, राजिम
जाने आने वाली रेलगाडियां रायपुर रेलवे स्टेशन से न छूटकर तेलीबांधा से
छूटेंगी। मतलब साफ है कि ये रेलगाडिय़ां ट्रैफिक  जाम करने का काम नहीं
करेंगी। फाफाडीह, देवेन्द्र नगर, पंडरी, राजातालाब, शंकरनगर और
राष्ट्रीय राजमार्ग 6 पर अब रेलवे फाटक बंद नहीं होंगे बल्कि इन्हें
उखाड़ दिया जाएगा। अब रेल्वे क्रॉसिंग पर किसी को ट्रेन के निकलने का
इंतजार नहीं करना पड़ेगा। क्योंकि अब सुबह 6 बजे से लेकर रात्रि के 10
बजे तक ट्रेनें इन पटरियों पर नहीं दौड़ेंगी। रात्रि में ट्रेनों की
मेंटनेंस के लिए अवश्य इन्हें रायपुर रेल्वे स्टेशन स्थित लोकोशेड में
लाया जाएगा लेकिन 3 वर्ष के अंदर ही तेलीबांधा में ही इनके मेंटनेंस की
व्यवस्था कर दी जाएगी। अधिकांश लोगों की नजरों से छोटी लाईन की ट्रेन ओझल
हो जाएगी।

छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद राजधानी रायपुर में ट्रैफिक ही सबसे बड़ी
समस्या के रुप में उभरी। इससे निजात दिलाने के लिए राज्य सरकार ने पूरा
खर्च तेलीबांधा में टर्मिनल बनाने के लिए रेल्वे को दिया। 1 करोड़ 46 लाख
रुपए नगर निगम ने रेल विभाग को दिया और रिकार्र्ड समय में टर्मिनल बनकर
तैयार हो गया। अब सरकार मेंटनेंस के लिए लोकोशेड बनाने के लिए भी 8 करोड़
रुपए देने की तैयारी में है। जैसे ही लोकोशेड बना वैसे ही छोटी लाईन की
पटरी उखाड़ कर सड़क बनायी जाएगी और इस सड़क के बनते ही अन्य सड़कों पर
खासकर जेल रोड, पंडरी रोड, स्टेशन रोड, गौरव पथ, शंकर नगर रोड पर यातायात
का दबाव कम हो जाएगा। एक बड़ी आबादी को स्टेशन पहुंचने के लिए एक नया
रास्ता मिल जाएगा। कभी यह स्वप्न था लेकिन अब यह यथार्थ बनने की राह पर
हैं।

छोटी लाईन को बड़ी लाईन में बदलने की मांग रायपुर शहर की बहुत पुरानी है।
खबर है कि इसका भी सर्वेक्षण हो गया है लेकिन यह कब हकीकत में बदलेगा, यह
तो रेल विभाग भी नहीं बता सकता। जिन्हें बिलासपुर का जोन बनना ही पसंद
नहीं था, वे क्या छत्तीसगढ़ में रेल समस्याओं पर विचार करेंगे? यह जानते
हुए भी कि सबसे ज्यादा धन बिलासपुर जोन ही कमा कर देता है। अपने सीमित
साधन के बावजूद जनता की तकलीफों को समझकर राज्य शासन ने धन नहीं दिया
होता तो तेलीबांधा में टर्मिनल नहीं बनता। डॉ. रमन सिंह, बृजमोहन
अग्रवाल, अमर अग्रवाल, राजेश मूणत और सुनील सोनी धन्यवाद के पात्र हैं
जिन्होंने समस्या को समझा और हल निकाला। यह तो तय है कि छत्तीसगढ़ राज्य
नहीं बनता तो यह संभव ही नहीं होता। छत्तीसगढ़ राज्य अटल बिहारी बाजपेयी
ने बनाया। छत्तीसगढ़ की जनता ने उनकी पार्टी को शासन करने का मौका दिया।
पार्टी ने एक संवेदनशील व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया। जो सीधे-सीधे जनता
से रुबरु है और अपनी तरफ से जनता की समस्या को हल करने के लिए कृत
संकल्पित है। सुनील सोनी जैसा महापौर जनता ने चुना तो सीधे-सीधे समस्याओं
से जुड़े व्यक्ति को चुना। जिसने सीमित संसाधनों के बावजूद रायपुर की
समस्याओं को हल करने के लिए अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी। अमर अग्रवाल
नगरीय प्रशासन मंत्री थे तो उन्होंने भरसक सहयोग दिया। आज तो रायपुर
पश्चिम के विधायक राजेश मूणत ही नगरीय प्रशासन मंत्री हैं। तब सही ढंग से
नगर निगम के पदाधिकारी राजनैतिक द्वेष से हटकर शहर विकास और कल्याण के
लिए काम करें तो किसी भी तरह से कोई कमी सरकार की तरफ से नहीं होने वाली
है। फिर अजेय बृजमोहन अग्रवाल रायपुर दक्षिण के विधायक होने के साथ
विभिन्न विभागों के मंत्री हैं। इनका रायपुर के प्रति प्रेम किसी से भी
छुपा हुआ नहीं है। इसीलिए तो रायपुर की जनता ने विधायक के रुप में इनका
निरंतर चयन किया। कांग्रेस ने बार-बार बदल बदल कर उम्मीदवार इन्हें हराने
के लिए मैदान में उतारे लेकिन कोई भी इन्हें हरा नहीं सका।
ये सभी श्रेय के हकदार हैं, धमतरी राजिम ट्रेनों के लिए टर्मिनल
तेलीबांधा ले जाने के लिए। एक समय तो ऐसा भी था कि जब सोचने लगे थे लोग
कि आर्थिक रुप से घाटे की इन ट्रेनों को रेल मंत्रालय बंद क्यों नहीं कर
देता? इससे लाभ के बदले लाखों लोगों को सिर्फ तकलीफ और तकलीफ हो रही है
लेकिन तेलीबांधा में टर्मिनल बना कर ट्रेनों को भी बचा लिया गया और जनता
को तकलीफों से भी बचा लिया गया। एक बड़ी आबादी के बीच से गुजरती ट्रेनें
लाखों लोगों की हाय ही ले रही थी और अब इससे छुटकारा तो मिलेगा। फाफाडीह
का रेल्वे क्रॉसिंग तो आधे छत्तीसगढ़ को रायपुर से जोडऩे वाली सड़क को
बीच से काटता है। बिलासपुर, सरगुजा जाने वालों के लिए तो यह प्रमुख
रास्ता है। हालांकि रिंग रोड बने हैं लेकिन जिन्हें रायपुर शहर में ही
आना हो उनके लिए तो यही सड़क इकलौता साधन है। इसी तरह विधानसभा के लिए
जाने वालों के लिए पंडरी और शंकर नगर क्रॉसिंग मुख्य सड़क है। गाड़ी जाने
के समय कोई इन रास्तों से गुजरे तो पहले ट्रेन से उतर कर कोई फाटक बंद
करे और फिर गाड़ी पार निकले तब फिर फाटक खोले। क्योंकि अधिकांश क्रॉसिंग
तो फाटक खोलने बंद करने वालों के बिना ही रेल्वे व्यवस्थित कर रहा था।
29 तारीख के बाद तो लोगों को इंतजार रहेगा कि जितनी जल्दी हो सके रात के
फेरे की भी आवश्यकता ट्रेनों को न रहे। जितनी जल्दी लोकोशेड तेलीबांधा
में बने उतना ही अच्छा। क्योंकि जब लोकोशेड बनेगा तभी इन गाडियों का आना
जाना बंद होगा और तब ही पटरियों को उखाड़ कर सड़क बनायी जा सकेगी। सड़क
बनते ही शंकर नगर से फाफाडीह की दूरी एकदम कम हो जाएगी। आज जो 5 किलोमीटर
का फासला है, वह दो किलोमीटर ही रह जाएगा। इस इलाके के लोगों को ऐसी सड़क
मिलेगी जो दूरियों को नजदीकी में बदल देगी। गुढिय़ारी से स्टेशन होकर जेल
रोड से गौरव पथ होते हुए शंकर नगर जाना बहुत ही लंबा रास्ता है। इस सड़क
के बन जाने से बहुत कुछ बदल जाएगा। विकास प्राधिकरण का निर्मित हो रहा
माल भी इस सड़क पर आ जाएगा। बस स्टैंड भी बहुतों के लिए निकट हो जाएगा।
आज खमतराई, फाफाडीह, शंकर नगर से बस स्टैंड जाना हो तो बहुत ही लंबा
रास्ता तय करना पड़ता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि अगले विधान सभा चुनाव
के पूर्व छोटी लाईन की पटरियां उखड़ जाएगी और चमचमाती सड़कें उसके स्थान
पर दिखायी देंगी। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, लोक निर्माण मंत्री बृजमोहन
अग्रवाल और नगरीय प्रशासन मंत्री राजेश मूणत के रहते, यह सब आसानी से
संभव हो जाएगा। स्वाभाविक है कि जनता इन्हें इसके लिए साधुवाद दे।

- विष्णु सिन्हा
दिनांक : 26.08.2010
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