यह ब्लॉग छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने समाचार पत्र "अग्रदूत" में प्रकाशित कुछ लेखों को प्रकाशित करेगा . जिन्हे मेरे अग्रज, पत्र के प्रधान संपादक श्री विष्णु सिन्हा जी ने लिखा है .
ये लेख "सोच की लकीरें" के नाम से प्रकाशित होते हैं

सोमवार, 25 अक्तूबर 2010

10 वर्षों के विकास को देखकर स्थापना दिवस पर उत्सव तो सहज स्वाभाविक है

1 नवंबर, 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य रात्रि के 12 बजे अस्तित्व में आया। यह
ऐसी घड़ी थी जब सारे प्रदेश में रायपुर के पुलिस मैदान के सिवाय कहीं चहल
पहल नहीं थी। मुख्यमंत्री के रूप में कांग्रेस के अजीत जोगी शपथ ले रहे
थे लेकिन पूरा प्रदेश गहरी नींद में सो रहा था। कहीं कोई उत्साह नहीं
दिखायी दे रहा था। छत्तीसगढ़ राज्य बनने की खुशी लोगों को नहीं थी, ऐसी
बात नहीं थी लेकिन जिस तरह से कांग्रेस को सरकार बनाने का अवसर मिला और
कांग्रेस ने अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बनाया, उससे उत्साह का माहौल नहीं
बन पाया। उस समय विïद्याचरण शुक्ल  के मुख्यमंत्री बनने की सबको उमीद थी
लेकिन जनआकांक्षाओं के विपरीत, विधायकों की इच्छा के विरूद्घ अजीत जोगी
को मुख्यमंत्री कांग्रेस आलाकमान की आज्ञा से बनाया गया, उसने माहौल के
उत्साह को फीका कर दिया।

इसके बाद हर वर्ष 1 नवंबर आया। वर्ष पर वर्ष व्यतीत होते गए और देखते ही
देखते 1 नवंबर फिर आ गया है। 10 वर्ष पूरे कर रहा है, छत्तीसगढ़ राज्य। 3
वर्ष के कांग्रेसी शासन ने जनता को और नाराज ही किया। इन दस वर्षों में
से 7 वर्ष छत्तीसगढ़ में भाजपा का शासन है और छत्तीसगढ़ के लोगों को वह
सब कुछ मिला जिसकी उम्मीद आज भी विकसित पुराने राज्य करते हैं। बिजली और
अनाज दोनों मामलों में छत्तीसगढ़ भरपूर है। किसानों की उपज सरकार खरीदती
है और भुगतान की किसी तरह की शिकायत नहीं मिलती। 3 प्रतिशत ब्याज दर पर
किसानों को ऋण सुविधा भी सरकार देती है और इसे और कम करने की बात
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह कर रहे हैं। छात्र, छात्राओं को
मुफत में पुस्तकें बिना किसी भेदभाव के दी जाती है। सड़कों के विस्तार ने
न केवल आवागमन के अवसर बढ़ाए बल्कि गांव व शहरों की दूरियां भी कम कर दी।
छत्तीसगढ़ राज्य बना तब से आज विद्युत खपत प्रदेश में दोगुना हो गया
लेकिन उत्पादन वृद्घि ने कमी महसूस नहीं होने दी। स्वाभाविक रूप से
उद्योगों का विकास और विस्तार हुआ तो राज्य के राजस्व में भी दस गुना
वृद्घि हुई। शासकीय कर्मचारियों को छठवां वेतन आयोग के अनुसार वेतन दिया
जा रहा है तो कल ही पेंशनरों को मुख्यमंत्री की घोषणा से एक  हजार रूपये
तक लाभ दीपावली से मिलने लगेगा। सरकार को अपने वर्तमान कर्मचारियों की ही
नहीं भूतपूर्व कर्मचारियों की भी बराबर से चिंता है। विकसित होता
छत्तीसगढ़ नक्सलियों को फूटी आंख नहीं सुहाता और वे नाना प्रकार से अपने
प्रभावित क्षेत्र में विकास के रथ को रोकने का प्रयास करते हैं। लेकिन
सरकार भी कृतसंकल्पित है कि वह नक्सलियों के दबाव में नहीं आएगी। दरअसल
डा. रमनसिंह ने समस्याओं से मुंह छिपाना नहीं सीखा। वे समस्या को जड़ से
समाप्त करने में विश्वास रखते हैं और यही कारण है कि आज छत्तीसगढ़ में
नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है।

राजधानी के अनुरूप संरचना के न होने के बावजूद रायपुर राजधानी बनी और
पुराने भवनों, मकानों में ही राजधानी और प्रदेश की विकास गाथाएं लिखी
जाने लगी। अब नया रायपुर भी रूपाकार ले रहा है और उम्मीद की जा रही है कि
2011 में मंत्रालय नया रायपुर में शिफट हो जाएगा। पुराने रायपुर का ही ओर
छोर ऐसा विस्तारित हो रहा है कि रायपुर विकास प्राधिकरण शहर के चारों ओर
विकसित कालोनी का ऐसा जाल बिछा रही है कि वर्तमान और भविष्य की रहवास की
समस्या से लोगों को दो चार न होना पड़े। यह सिर्फ रायपुर में ही हो रहा
है ऐसा नहीं है। गृह निर्माण मंडल ने पूरे छत्तीसगढ़ में 1 लाख मकान
बनाने का संकल्प लिया है। जिससे छोटे शहर और कस्बों तक आवास की सुविधा
उपलब्ध करायी जा सके। नया रायपुर में एक कालोनी तो वह करीब करीब खड़ा ही
कर चुका है।

जो भी व्यक्ति कुछ समय के बाद छत्तीसगढ़ में प्रवेश करता है, उसे बहुत
कुछ नया और बदला हुआ नजर आता है। पुराने शहर की सड़कों को भी चौड़ा करने
के लिए लोगों को भारी मुआवजा देकर जमीन अधिग्रहित कर सरकार ने नया आयाम
ही स्पर्श किया है। राजिम कुंभ के रूप में आस्था को एक राष्ट्रीय  आयाम
बृजमोहन अग्रवाल ने दिया है तो आज राजिम राष्ट्रीय  स्तर पर चर्चित
क्षेत्र बन गया है। स्वाद बदलने के लिए कुछ संस्थाओं पर जनता ने भाजपा के
बदले कांग्रेसियों को मौका दिया तो जनता को जल्द समझ में आ गया कि उसने
सुस्वाद को छोड़कर बेस्वाद को जीभ पर रख लिया है। तब थू थू करने के सिवाय
कोई चारा भी नहीं बचता। डा. रमन सिंह ऐसे मुख्यमंत्री सिद्घ हो रहे हैं
जो निखालिस ख्वाब ही नहीं दिखाते, यथार्थ की धरा पर उसे साकार भी  करते
हैं। उनके इशारे की देर है और टूटी फूटी सड़क रातों रात अपना रूप बदल
लेती है। छोटी धमतरी लाईन की ट्रेनों  के लिए तेलीबांधा में नया स्टेशन
राज्य सरकार के खर्च पर बनवा देना, भी उन्हीं के बस की बात है। रायपुर के
चारों तरफ बन चुके या बन रहे ओह्वïरब्रिज भी उनकी सोच को ही परिलक्षित
करते हैं।

अभी तो मात्र 10 वर्ष ही पूरे होने जा रहे हैं लेकिन विकास की गंगा में
बाढ़ आ गयी है। कल्पना से परे है कि आने वाले 10 वर्षों में डा. रमन सिंह
ही मुख्यमंत्री रहे तो प्रदेश कहां से चला था और कहां पहुंच जाएगा। अब तो
छत्तीसगढ़ में थल सेना, नभ सेना, जल सेना भी रूचि लेने लग गयी है। फौज के
क्रियाकलापों से पहली बार परिचित होने का मौका मिला है, छत्तीसगढ़ को।
बस्तर से नक्सलियों का सफाया हो गया तो बस्तर विकास के मामले में राज्य
को किसी सौगात से कम नहीं होगा। कुछ दिग्भ्रमित लोगों को नक्सली गरीबों
के मसीहा लगते हो लेकिन असल में वे क्या हैं, यह क्षेत्र के लोगों से
ज्यादा अच्छी तरह से कौन जानता है? डा. रमन सिंह का भी एक बड़ा स्वप्र
है, बस्तर को विकसित होते देखना। बस्तरवासियों को वह सब कुछ उपलब्ध कराना
जो किसी को भी उपलब्ध है। बस्तर जिस दिन नक्सलियों से मुक्त होगा, उसका
औद्योगिक विकास तो होगा ही, उसका पर्यटन के रूप में भी विकास होगा और देश
के पर्यटकों के लिए ही नहीं, दुनिया भर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का
केंद्र होगा।

चिकित्सा के मामले में छत्तीसगढ़ 10 वर्ष पूर्व सबसे पिछड़ा था लेकिन अब
वह बात रही नहीं। सरकार ने मेडिकल कालेज तो खोले ही, इसके साथ ही वह निजी
क्षेत्रों में भी मेडिकल कालेज को प्रोत्साहित करने का इरादा रखती है।
डा. रमन सिंह तो चाहते हैं कि छत्त्ीसगढ़ के हर जिले में कम से कम एक
मेडिकल कालेज हो। छत्तीसगढ़ राज्य बना तब छत्तीसगढ़ में एक ही मेडिकल
कालेज था और आज 4 हैं। वह दिन दूर नहीं जब हर जगह मेडिकल कालेज ही दिखायी
दें। गरीबों के लिए मुफत 30 हजार रूपये तक की चिकित्सा का कार्यक्रम तो
सरकार चला ही रही है। चिकित्सा विश्वविद्यालय खोलने की भी मंशा सरकार की
है। विधि विश्वविश्वद्यालय, पत्रकारिता विश्वविद्यालय के साथ सरकार 4
विश्वविद्यालय वैसे ही प्रदेश में संचालित कर रही है। निजी क्षेत्र को भी
प्रोत्साहित ही किया जा रहा है। 10 वर्ष के छोटे से कार्यकाल में इतना
काम किसी को भी अकल्पनीय लग सकता है। इसलिए राज्य स्थापना दिवस पर
राज्योत्सव का उत्साह जनता में दिखायी दे तो आश्चर्य की बात नहीं। कल  से
राज्योत्सव प्रारंभ हो रहा है। सरकार के साथ जनता की भागीदारी उत्साह को
कई गुणा कर देगी।

- विष्णु सिन्हा
25-10-010
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