यह ब्लॉग छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने समाचार पत्र "अग्रदूत" में प्रकाशित कुछ लेखों को प्रकाशित करेगा . जिन्हे मेरे अग्रज, पत्र के प्रधान संपादक श्री विष्णु सिन्हा जी ने लिखा है .
ये लेख "सोच की लकीरें" के नाम से प्रकाशित होते हैं

शनिवार, 16 अक्तूबर 2010

डा. रमन सिंह का वरदहस्त छत्तीसगढ़ पर सदा बना रहे जन्मदिन पर यही शुभकामना

डा. रमन सिंह का वरदहस्त छत्तीसगढ़ पर सदा बना रहे जन्मदिन पर यही शुभकामना
जन जन के नायक डा. रमन सिंह का आज जन्मदिन है। छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा
नायक कोई है तो वह डा. रमन सिंह ही हैं। कहने वाले तो यहां तक कहते हैं
कि भोले भाले चेहरे के अंदर एक ऐसा ईमानदार व्यक्ति छुपा हुआ है जो गरीब
वर्ग के लिए किसी दया निधान से कम नहीं है। कुछ तो यह भी कहते हैं कि
डाक्टर साहब को सम्मोहन विद्या का ज्ञान है और जिस तरह से उन्होंने
प्रदेश की जनता को सम्मोहित कर रखा है, ऐसा सम्मोहन नेता के प्रति तो
कभी दिखायी नहीं दिया। ऐसा कोई नेता नहीं हुआ जो जनता की आलोचना का
शिकार न हुआ हो लेकिन डा. रमन सिंह ऐसे व्यक्ति हैं कि जनता तो उनकी
आलोचना के बदले तारीफ ही करती दिखायी पड़ती है। आलोचना कोई करता है तो
सिर्फ वे लोग जिनके भाग्य में अब डा. रमन सिंह के रहते सत्ता सुख शेष
नहीं है। चंद लोग आलोचना करें और जनता कान देने को तैयार न हो तो राजनीति
में इससे बड़ी उपलब्धि क्या हो सकती है?

ऐसे में सत्ता के लिए आलोचकों के चेहरे खिसियानी बिल्ली की शक्ल ले लेते
हैं। जब डा. रमन सिंह मुख्यमंत्री बने थे तब लोगों की सोच थी कि कांग्रेस
के दिग्गज नेताओं के सामने यह शख्स टिक नहीं पाएगा और शीघ्र ही भाजपा को
ही नेतृत्व परिवर्तन की जरूरत महसूस होने लगेगी। कुछ सत्ता के लोभियों ने
डा. रमन सिंह के विरूद्घ वातावरण बनाने की कोशिश अवश्य की लेकिन वे सफल
नहीं हुए। दरअसल डा. रमन सिंह की योग्यताओं की थाह न तो कांग्रेसी ले पाए
और न असंतुष्ट भाजपाई। समय व्यतीत होता रहा और प्रदेश की तस्वीर और
तकदीर बदलती गयी। सत्य को किसी प्रमाण की आवश्यकता तो होती नहीं। फिर जो
साक्षात दिखायी दे उसे नेता भले ही नकारें और मीनमेख निकालें लेकिन असली
निर्णायक तो जनता है और गोल्ड मेडल जनता ने डा. रमनसिंह को ही दे रखा है।
अभी विधानसभा चुनाव को 3 वर्ष से अधिक शेष है लेकिन कांग्रेसी ही आपसी
चर्चा में कहने से नहीं हिचकते कि डा. रमन सिंह तीसरी बार भी मुख्यमंत्री
चुने जाएं तो आश्चर्य की बात नहीं। कांग्रेसी तो आपस में चर्चा करने से
नहीं चूक रहे हैं कि कांग्रेसियों ने डा. रमन सिंह के समक्ष आत्म समर्पण
कर दिया है। विपक्ष ही जब डा. रमन सिंह की तारीफ करे, भले ही बंद कमरों
में तब ऐसे व्यक्ति की संभावनाओं को आसानी से समझा जा सकता है। केंद्र
में कांग्रेस की सरकार, प्रदेश में नक्सलियों का तांडव और विकास दर
प्रदेश की पूरे देश में सबसे अधिक। विपरीत परिस्थितियों में भी प्रदेश के
विकास रथ को प्रथम दौड़ाना डा. रमन सिंह के ही बस की बात है। सड़ गयी,
दुर्गंध मारती, हर तरह से पिछड़ी व्यवस्था में प्रदेश को आगे ले जाना और
कोई भी गरीब भूखा पेट न सोए, इसका ध्यान रखने वाली सरकार के मुखिया डा.
रमन सिंह की कोई चाहे न चाहे तारीफ करना लेकिन तारीफ तो जनता करती है।
वैशाली नगर और कुछ नगर निगमों में भाजपा को हरवा कर भाजपाइयों ने ही डा.
रमन सिंह के हाथ से सत्ता छीनने का प्रयास अवश्य किया लेकिन  आज सभी
चारों खाने चित्त हैं। कांग्रेसियों और सत्ता के लोभी भाजपाइयों को बहुत
उम्मीद थी कि भटगांव उपचुनाव भी भाजपा हारेगी। समाचार पत्रों ने भी कोई
कसर नहीं छोड़ी थी, यह लिखने में कि कड़ी टक्कर है, भटगांव में भाजपा और
कांग्रेस के बीच। किसी ने भी नहीं लिखा और न छापा कि भाजपा प्रत्याशी
रिकार्ड मतों से जीत रहा है, सिवाय अग्रदूत के। यहां तक कि खुफिया विभाग
की रिपोर्ट के हवाले से समाचार पत्रों ने छापा कि कड़ी टक्कर है लेकिन
परिणाम आया तो पता चला कि भाजपा प्रत्याशी ने 34 हजार से अधिक वोटों से
मैदान मार लिया। अभी संजारी बालोद के विषय में भी अनुमान यही लगाया जा
रहा है और कांगे्रसी तो भटगांव का बदला बालोद से लेने की बात कह रहे हैं
लेकिन डा. रमन सिंह चुप हैं। वे अपने काम में लगे हैं और सब तरफ उनकी
चौकन्नी निगाहें हैं। वे वैशाली नगर की तरह असंतुष्टों  को कोई मौका नहीं
देने वाले हैं।

कांग्रेसी छत्तीसगढ़ में कितनी भी डा. रमन सिंह की आलोचना करें लेकिन
केंद्र सरकार के मंत्री छत्तीसगढ़ आकर डा. रमन सिंह की तारीफ ही करते
हैं। प्रधानमंत्री हों या गृहमंत्री, डा. रमन सिंह की बात को तवज्जो देते
हैं। डा. रमन सिंह की यह भी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है कि
उन्होंने केंद्र सरकार को नक्सलियों के विषय में अपनी राय से सहमत करा
लिया। उसके पहले ऐसा किसी मुख्यमंत्री ने प्रयास किया, इसकी खबर नहीं है।
ठोस बात करना, तर्क की कसौटी पर खरा उतरे ऐसी बात करना, जो उचित लगे उसे
करने में किसी तरह की आलोचना की परवाह न करना, डा. रमन सिंह की खास खूबी
है। ज्यादा सुनना, हर किसी की सुनना और फिर उसे अपने अनुसार गुनना डाक्टर
साहब की कार्यप्रणाली है।कहा जाता है कि राजनीति में संवेदनशील लोगों को
सफलता नहीं मिलती बल्कि निष्ठुर लोग सफल होते हैं। भले ही वे चेहरा
संवेदनशीलता का लगाएं लेकिन उनके कृत्य उनकी निष्ठुरता  का पर्दाफाश कर
देते हैं। डा. रमन सिंह बाहर से भी संवेदनशील और अंदर से तो अति
संवेदनशील हैं। कोई उनके सामने क्रोध प्रगट करता है तो वे उसे भी शांति
से सुनते हैं। यह कभी प्रगट नहीं करते कि मैं मुख्यमंत्री और मुझसे ऐसे
लहजे में बात करने की हिम्मत कैसे हुई? बदला किसी से लेने की कोई भावना
उनके मन मस्तिष्क में नहीं। यह सब ऐसे गुण है जो आदमी को निरंहकारी तो
सिद्घ करते ही हैं, साथ ही साथ यह भी सिद्घ करते हैं कि सत्ता सिंहासन का
अहंकार स्पर्श भी नहीं कर सका डा. रमन सिंह को।

आज डा. साहब का जन्मदिन है और भगवान से प्रार्थना ही की जा सकती है कि
उनका नेतृत्व प्रदेश को सदा मिलता रहे। प्रदेश पूरी तरह से सुरक्षित है,
उनके हाथों में। छत्तीसगढ़ को ऐसे ही व्यक्ति की तलाश थी जो दया मया से
परिपूर्ण हो। दो दो बार मुख्यमंत्री बनने के बाद तो किसी का भी दिमाग फिर
सकता था लेकिन डा. रमन सिंह आज भी वही हैं जो मुख्यमंत्री बनने के पहले
थे। दरियादिल ऐसे हैं कि जनता के लिए सरकार का खजाना खर्च करने में
उन्हें जरा सी भी हिचक नहीं होती। राजनीति अपनी जगह है और कहा जाता है कि
राजनीति काजल की कोठरी है और उसमें से बेदाग निकलना संभव ही नहीं है
लेकिन डा. रमन सिंह बेदाग ही है। यही उन पर विश्वास करने के लिए जनता को
बाध्य करता है। जन्मदिन पर ढेरों शुभकामनाएं। उनका वरदहस्त प्रदेश पर सदा
बना रहे।

-
विष्णु सिन्हा
15-10-2010